मैं श्रीमती सुरेखा साहू सहायक शिक्षक ,सुदूरअंचल में स्थित प्राथमिक शाला मेटेपार में कार्यरत हूँ । मैं 2011 से वहां पदस्थ हूँ ।हमारा छोटा सा गांव है ।जब मैं वहां गई तब दर्ज 32 था ।मैं और मेरी सहयोगी शिक्षिका के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,खेल गतिविधि, आर्ट व क्राफ्ट,डांस चित्रकला आदि से प्रेरित होकर प्राइवेट स्कूलो से बच्चो का आना प्रारंभ हुआ और अब दर्ज संख्या 55 है ।
1. मैंने प्रचलित शिक्षण विधियों के स्थान पर नवीन विधियों का प्रयोग किया मैंने अनुपयोगी वस्तुओ जैसे शादी कार्ड ,इंजेक्शन कैप,चूडियों के नग,राखी, कुछ रंगीन पेपर ,पिसते के छिलके, आदि को एकत्रित किया व उनसे उपयोगी व शैक्षिक सामग्री बनाकर बच्चों में कला व सृजन के प्रति रूचि जाग्रत किया ।
2. बच्चों में उभरती क्रियात्मक व सृजनातमक रूचियो से उनके माता-पिता भी गौरवानवित महसूस करते हैं ।
3. मैंनै आसपास के व्यक्तियो के नामो की सूची बनाकर उन्हें पर्यायवाची शब्दों के ज्ञान में काफी दक्ष कर लिया है।
4. इस वर्ष ऑनलाइन क्लास ,कॉन्फरेंस काल व वाट्सअप के माध्यम से ही बच्चों को होमवर्क दिया जा रहा है ।बच्चे भी बडी उत्सुकता से अपनी बनाई हुई सामग्रीयो को भेजते हैं ।इस प्रकार कार्य करके बडा ही सुकून मिलता है।
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