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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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GSM TEACHER - वृक्षों को रक्षाबंधन बांधने की सीख देने और पौधों को वृक्ष बनने तक देखभाल करने वाले प्रकृति प्रेमी शिक्षक NARENDRA PRATAP RATHORE

नाम - Narendra Pratap Rathore
पद - Assistant Teacher
स्कूल- Govt. Primary school Baigapali
संकुल- Katharimaal
विकासखंड -Karatala
जिला - Korba
राज्य - Chhattisgarh
मो.नं.- 9685187174

विद्यालयीन बच्चों ने वृक्षों को रक्षाबंधन बंधन बाँधा

   रक्षाबंधन बन्धन का यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है सर्व प्रथम रक्षाबंधन बंधन सतयुग में नारद जी के कहने पर माता लक्ष्मी के द्वारा राजा बलि को बाँधा गया था इस तरह कालांतर में कई बार महिलाओं ने किसी न किसी के रक्षा के संकल्प के लिए वीर पुरुषों को रक्षा सूत्र, राखी बाँधा है और वीर पुरुषों ने उन्हें हर तरह से संरक्षित किया है
   इसी तरह आज स्कूली बच्चे जो लंबे समय से विद्यालय से दूर है उन्हें अपने विद्यालय की याद रह रह कर सता रहा है आज इस रक्षाबंधन के पर्व में वे अपने आप को रोक नही पाये और वीरान दिख रहे स्कूल में खड़े उन वृक्षों को रक्षाबंधन सूत्र बांधने से रोक नही पाये प्रा.शा. बैगापाली की नन्ही बालिकाएं कु.प्रिंसी, कु.द्वेता, कु.रिया और भाठापारा की बालिका कु. ज्योति  पाटले जो स्वयं स्काउट गाइड टीम की गाइड है इन बच्चों की प्रकृति के प्रति यह प्रेम देखते ही बनता है
   इन नन्ही बच्चियों ने जाने अनजाने में समाज को कितना बड़ा मेसेज की लोग वृक्षों को काटे नही, उन्हें बच्चों की तरह प्रेम करें, उनके रक्षा के लिए संकल्प ले क्योंकि पेड़ पौधे हमे प्रत्यक्ष रूप से सहारा देते हैं हमे भी उनका सहारा बनना चाहिए

कोरोना काल मे आफलाइन पढाई के लिये बैगापाली के शिक्षक द्वारा संकुल के सभी प्रा शा को अबेकस भेंट

    कोरोना संक्रमण के वजह से स्कूली  बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित है  जिसके मद्देनजर शासन के दिशानुरूप प्रदेश के समस्त शासकीय, अशासकीय विद्यालयों में ऑनलाइन ऑफलाइन पढ़ाई की व्यवस्था संचालित हो रहा है इस ऑफलाइन पढ़ाई व्यवस्था में खेल खेल में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है | इसको ध्यान में रखते हुए संकुल शैक्षिक समन्वयक श्री राजेन्द्र कुमार राजवाड़े के मोटीवेशन में संकुल के समस्त शिक्षक कुछ न कुछ नया तरकीब से बच्चों को पढ़ाने के लिए नित नए उपाय भी कर के पढ़ाई संचालित कर रहे हैं ।
     इस कोरोना संक्रमण काल मे बच्चे नए माध्यम से कुछ सीख सके, इसके लिए प्राथमिक शाला बैगापाली के शिक्षक श्री नरेन्द्र प्रताप राठौर व भादा की शिक्षिका श्रीमती मंजू राठौर, संकुल- कथरिमाल, करतला के द्वारा संकुल के प्राथमिक शालाओ के लिए कबाड़ से जुगाड़ से निर्मित अबेकस संकुल समन्वयक श्री राजेन्द्र राजवाड़े, श्री जयकुमार राजवाड़े को भेंट किया गया, अबेकस से गणितीय संक्रिया इकाई दहाई, सैकड़ा ज्ञान कराने में काफी मददगार साबित होगा। यह टी.एल.एम. फ्लेक्स में लगे लकड़ी, सायकल के टूटे हुए स्पोक, व राखी, इत्यादि से टूटे हुए मोतियों से बनाया गया है। श्री राजेन्द्र राजवाड़े ने कहा कि इस तरह की शून्य निवेश छोटी-छोटी टी.एल. एम. सभी शिक्षकों को अपने अपने विद्यालय के लिए अपने तैयार करना चाहिए, तथा श्री राठौर के द्वारा भेंट की गई अबेकस बच्चों को ऑफलाइन शिक्षण में सीखने सिखाने में प्रभावी रूप से मददगार साबित होगा।

प्रा.शा. बैगापाली में सहायक शिक्षक एल बी  नरेन्द्र प्रताप राठौर के द्वारा ग्राम में मुहल्ला स्कुल का अध्यापन शुरू किया गया 
     आज प्रथम दिवस में गाव के बीच मे स्थित सामुदायिक भवन में प्राथमिक शाला के सभी बच्चों सोशल डिस्टेंसिनग का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ने पढ़ाने के निर्देश दिया दूसरे दिवस में कबीर मंच में पढाया जाना है तृतीय दिवस में काशीदास जी के चौरे में चौथे दिवस में शीतल दास जी के चौरे में बारी बारी से क्रमबद्ध रूप पठन पाठन मुहल्ला स्कूल  कार्यक्रम के अंतर्गत सम्पन्न किया जाना है साथ ही  स्कुल के पूर्व छात्रों को जोड़कर अग्रज कक्षाओं 6,7,8 वी के बच्चों को कनिस्ट छात्रों 3,4,5 वी के बच्चों को अपने संरक्षण में व अपने अपने चौरे में  अपने साथ बैठाकर पढ़ने पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया

प्राथमिक शाला बैगापाली में यह मेरा प्रथम निर्माण कार्य और आर्थिक प्रयास था जिसमे ममता पाण्डे मेडम के साथ मिलकर धिसल पट्टी का निर्माण कराया आज बच्चे इसका पूर्ण रूप से उपयोग कर रहे हैं
मेरे द्वारा ग्राम पंचायत से सहयोग लेकर 23 हजार के राशि से विद्द्यालय में सांस्कृतिक मंच का निर्माण
 

इसके माध्यम से बच्चों को एक मंच मिला  जहाँ वे शैक्षणिक गतिविधियों के साथ खेल, योग , सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए अवसर मिला
तत्कालीन पंच श्री श्याम सुंदर मेहता जी के साथ मिलकर कुसमुंडा से लाया और लगाया गया अशोक वृक्ष जो आज काफी बड़े हो चुके हैं इन वृक्षों को शाला परिवार के साथ मिलकर अपने बच्चों के तरह देखभाल किये

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