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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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GSM TEACHER - कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडे रखने हेतु शिक्षा सखी और शिक्षा मित्र के द्वारा पढ़ई तुंहर पारा क्लास लगाने वाली शिक्षिका SUCHITA SAHU

सुचिता साहू
सहायक शिक्षक
शा.प्रा.शाला तेलीबांधा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
1 जब कोरोना महामारी से पूरा देश गुजर रहा था तब सबसे ज्यादा असर बच्चों की पढ़ाई  पर हुआ। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया इस समय सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा से बच्चों को जोड़े रखना था जिस पर सरकार के द्वारा बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए पढ़ई  तुंहर द्वार द्वारा ऑनलाइन कक्षा लगाने की शुरुआत की गई तब बच्चे ऑनलाइन क्लास में नहीं जुड़ पाते थे लेकिन शिक्षिका सुचिता ने हार नहीं मानी।उन्होंने सृजनात्मक गतिविधियां जैसे क्राफ्ट, पेंटिंग के द्वारा ऑनलाइन कक्षा जारी रखा जब बच्चे जुड़ने लगे तब पढ़ाई के साथ-साथ सृजनात्मक कार्य भी जारी रखा।
2 ऑनलाइन वर्चुअल क्लास के लिए तथा ऑफलाइन क्लास के लिए बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए शिक्षिका सुचिता ने घर पर ही बहुत सारे टी. एल. एम. का निर्माण किया जिससे कि बच्चों को विषयों को सरल करके पढ़ाया जा सके तथा उन्हें पढ़ाई रुचि पूर्ण लगे।
3 राज्य जिला प्रशिक्षण संस्थान रायपुर द्वारा बनाए गए एप बुलटू के बोल में सभी विषयों के पाठों का ऑडियो बनाया गया ताकि स्कूल ना आ पाने की स्थिति में बच्चे ब्लूटूथ के माध्यम से ऑडियो सुनकर विषय वस्तु को समझ सके।
4 कोरोना काल में बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडे रखने हेतु शिक्षा सखी और शिक्षा मित्र के द्वारा अपने शहर और अन्य जगह पढ़ई तुंहर पारा जैसे क्लास लगवाना।
5 कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम की प्रदर्शनी में शिक्षिका सुचिता ने उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया।
6 शिक्षिका सुचिता द्वारा बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षण भी दिया जाता है।


ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई के साथ सृजनात्मक कार्य

बच्चों को प्रश्नपत्र के साथ मास्क वितरण किया और साथ ही पलकों को कोरोना के प्रति जागरूक किया।



बच्चों के ऑनलाइन तथा ऑफलाइन क्लास के लिए घर पर ही टी. एल. एम.का निर्माण किया।






पलकों को ब्लूट्रुथ के माध्यम से  आडियो दिए।जिससे कि बच्चों की समझ विषय के प्रति बन सके।
पालकों का पठन कौशल



गतिविधि आधारित कक्षा शिक्षण


शाला लगने के दिनों में प्रत्येक शनिवार को बच्चों को पेंटिंग सिखाना।



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