शिक्षा के लिए समर्पित एक नई प्रेरणा बनकर सामने आई है दिव्यांग अरुणा देशमुख जो नक्सल प्रभावित ग्राम डोकला जिला राजनांदगांव में शिक्षिका है, जो कि ना केवल बच्चों को शिक्षा दे रही है बल्कि अतिरिक्त समय में अभिभावकों के तर्ज पर भी पढ़ा रही है।
08 - 07 - 1999 से पदस्थ अब तक उन्होंने एक भी सी एल का उपयोग नहीं किया है 20 साल के अपने समय अवधि में बहुत भी अव्यवस्था होने पर भी शासन के द्वारा मिलने वाले अवकाशों का उपयोग अभी तक नहीं किया है। शिक्षा का अलख जगाने में अरुणा का एक अलग ही प्रकार का जुनून है यहां एक शिक्षिका नाम लता पटवा के साथ अरुणा टोटल 2 स्टाफ है। प्रधान पाठिका लता पटवा कहती हैं कि अरुण देशमुख ने कभी भी अपने दिव्यांग होने का उन्हें एहसास नहीं दिलाया वह अपना सारा काम मन लगाकर करती हैं।
10 बच्चों को दी शिक्षा - अरुणा देशमुख ने अभी तक स्वयं के खर्चे से 10 बच्चों की पूरी शिक्षा दी है।
बच्चों को शिक्षित शिक्षा - पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को साफ सफाई और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी प्रदान कर रही है।
जीता ग्रामीणों का विश्वास - ग्राम डोकला के निवासी शिक्षिका की समर्पण भावना को देखते हुए मजदूरी कार्य में जाने से पहले अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल में शिक्षिका अरुणा देशमुख के पास छोड़कर जा रहे हैं। वह उनके परिवार के बच्चों की तरह ही देखभाल करता है।
जर्जर भवन होने के कारण 2 वर्ष तक अपने घर पर ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई करवाया शासन द्वारा नव भवन निर्मित होने पर वहाँ जाकर स्कूल लगाया ।
आज दिव्यांग शिक्षिका अरुणा देशमुख कहती है कि यह सिर्फ उन बच्चों का ही प्यार है जो उन्हें कभी दिव्यांग होने का एहसास नहीं दिलाता।
कितनी भी विषम परिस्थिति मे एक भी cl का उपयोग नही किया है।
करोना काल मे घर _घर जाकर मध्यांन
भोजन व पुस्तक वितरण
वैलेंटियर नही मिलने पर खुद चला रही है प्रतिदिन मोहल्ला क्लास
भवन नही मिलने से खुद के नव निर्मित भवन का पूजन कर बच्चो का घर मे ले रही मोहल्ला क्लास अभी तक आन लाइन 43 क्लास ले चुकी है।
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