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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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GSM TEACHER - NANKI RAM CHANDRA हमर पढ़ाई-हमर पारा , ऑटो स्कूल , हमर दीवार बोलत हे-गियान के दुवार खोलत हे। आवव जानि इनकर बारे म


 नाम:- श्री ननकी राम चन्द्रा जी।

पिता:- श्री उत्तम चंद्रा जी।

माता :- श्रीमती साधवान बाई चंद्रा।

पद:- प्रधान पाठक।

शाला:- शासकीय प्राथमिक शाला  बोजिया

संकुल:- बोजिया।

ब्लाक:- धरमजयगढ़

जिला:- रायगढ़ (छ ग)

पिछले कई वर्षों से अपनी सृजनात्मकता और कार्यनिष्ठा से शाला को अत्यंत आकर्षक और मनमोहक बनाकर रखा है। जो कि अपने आप मे सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए एक उदाहरण है। शाला के प्रवेश द्वार से लेकर बगीचा और अंदर मौजूद एक-एक कमरा श्री चन्द्रा जी की लगन और मेहनत की कहानी कहता है। स्कूल के प्रत्येक भाग को

इन्होंने सृजनशीलता से एक निर्जीव निर्माण से आगे बढ़ाकर जीवंत पाठ्य सामग्री की तरह विकसित कर दिया है।

दीवारों पर स्वयम के व्यय से शानदार चित्रकारी की गई है जिसमें अंग्रेजी के वाक्य, राज्य के संभाग व जिले, गणितीय आकृतियां, स्वास्थ्य संबंधी निर्देश, पौधों और वनस्पतियों पर जानकारी, खेलों के नियम व जानकारी, वर्ण एवं मात्राएं, गुड मैनर्स, गणित के सूत्र, अल्फाबेट, हिंदी के लिंग और वचन की जानकारी, पर्यावरण सम्बन्धी निर्देश, अंग्रेजी में दिन और महीने, सकारात्मक दृष्टिकोण की प्रेरणा सम्बन्धी वाक्य, प्रत्यय- उपसर्ग, विभिन्न वर्णों के उच्चारण स्थान, और अन्य कई पाठ्य वस्तुओं को अत्यंत आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जिनकी सहायता से बच्चे खेल - खेल में ही चित्र देखकर काफी कुछ सीख जाते हैं।

शाला में तैयार किया गया बगीचा विद्यार्थियों को प्रकृति के सान्निध्य का अहसास करवाता है। साथ ही स्वयं में एक प्रेरणा की भांति है कि यदि शिक्षक में लगन हो तो प्रत्येक परिस्थिति में शाला का कायाकल्प सम्भव है


मुख्य उपलब्धि:- श्री चन्द्रा जी अत्यधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही

कोरोना लॉक डाउन के दौरान बच्चों के लिए स्वयं द्वारा प्रस्तुत की गई ऑटो स्कूल की अवधारणा को यथार्थ में सत्य कर दिखाना।

इस ऑटो स्कूल के अंतर्गत जब बच्चों को नियमित रूप से शालेय शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पा रही थी तब श्री चन्द्रा जी ने सम्पूर्ण शाला पोषित ग्राम और क्षेत्र के घरों की दीवारों को ही एक चलित स्कूल में बदल डाला और दीवारों पर पाठ्य सामग्री का चित्रण कर सामग्री को बच्चों के लिए हर समय हर स्थान पर उपलब्ध कराने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। वर्तमान में ग्राम के बच्चे स्कूल न जाकर भी लगातार पाठ्य सामग्री के संपर्क में हैं और ग्राम में घूमते फिरते भी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसी कल्पना और कार्यनिष्ठा श्री चन्द्रा जी को अपने आप मे एक विशिष्ट शिक्षक के रूप में स्थापित करती है।

श्री चन्द्रा जी सम्पूर्ण बोजिया संकुल और धरमजयगढ़ क्षेत्र के लिए एक आदर्श हैं जो सिद्ध करते हैं कि शिक्षक का कद नहीं बल्कि लगन और छात्रहित की भावना ऊंची होनी चाहिए।















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