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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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GSM TEACHER - एक किसान बेटा क्षेत्र में फैला रहा है "शिक्षा का दीप" TIKESHWAR PRASAD PATEL

 नाम- टिकेश्वर प्रसाद पटेल

पद- सहायक शिक्षक (एल बी)

योग्यता- ( एम ए अंग्रेजी)

विकास खंड- घरघोड़ा

जिला- रायगढ़ (छ, ग.)

मो-8827345142

*एक किसान बेटा क्षेत्र में फैला रहा है "शिक्षा का दीप"*

रायगढ़- हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शिक्षक की, जिसकी स्मार्ट सोच से, जिसकी मेहनत एवम् लगन से, क्षेत्र की बच्चो की बदल रही है तस्वीर। सरकारी स्कूल का नाम लेते ही लोगों के जेहन में वही पुराना भवन घिसा- पिटा ब्लैक बोर्ड, गंदा शौचालय वह पीने के पानी के लिए नल या घर से बोतल में पानी ले जाने की परंपरा याद आ रही है, लेकिन इस तस्वीर के उलट एक नजारा रायगढ़ जिले के घरघोड़ा विकासखंड के एक सरकारी स्कूलों में देखने को मिला रहा है, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस होकर अब निजी स्कूलों की प्रबंधकों का मुंह चिढ़ाने लगा है।

हम बात कर रहे हैं घरघोड़ा विकासखंड से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम भेंगारी के श्री भूपदेव सिंह पटेल के पुत्र शासकीय प्राथमिक शाला- चारमार में यहां पदस्थ शिक्षक "टिकेश्वर पटेल" की दृढ़ इच्छाशक्ति ने स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है, पहले बच्चे टाट पट्टी पर बैठते थे, पानी पीने के लिए घर से ही बॉटल लाना पढ़ता था, पुराने खराब काले ब्लैकबोर्ड ऐसे थे, जहां चार अक्षर लिखने पर नहीं दिखते थे।अब जहां वाइट/ ग्रीन बोर्ड लगने से पढ़ाई आसान हो गई! स्कूल की बुरी हालत देखकर पटेल ने स्वयं के वेतन से कुछ रुपए लगाया एवं कुछ जनसहयोग का रास्ता अपनाया, नतीजा यह हुआ कि अब बच्चे खूबसूरत दीवारों वाली स्कूल में प्रिंट रिच वातावरण पा रहे हैं, अब यहां शौचालय साफ सुथरा है। बच्चों को पीने का पानी के लिए ट्यूबवेल लगा दिया गया है।

*विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जाना जाता है यह स्कूल* अपने खर्च पर के बच्चों को दिला रहे शिक्षा टिकेश्वर पटेल ने बताया कि अपने गृह ग्राम भेंगारी के आश्रित ग्राम चारमार में आबादी लगभग 700 के करीब है। हमारा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां अधिकतर माता- पिता अशिक्षित होने के कारण बच्चों को स्कूल भेजने में रुचि नहीं लेते थे! लेकिन पटेल के अथक प्रयास ने पालको के विचार में इस तरह की शिक्षा के प्रति रुचि जागृत कर दी कि बच्चे घर में रहना नहीं चाहते हैं। स्वयं से स्कूल आ जाते हैं। यहां अधिकतर बच्चे धनवार, लोहार एवं मांझी जहां शिक्षा तो दूर स्कूल लाना बहुत मुश्किल होता था ,अब ऐसे बच्चे भी शत-प्रतिशत स्कूल आकर के प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन हो कर स्कूल जिले एवं विकासखंड का नाम रोशन कर रहे हैं। नतीजतन यह है कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय, एकलव्य स्कूल एवं उत्कर्ष जैसे कि परीक्षाओं के लिए प्रतिवर्ष ₹20000 खर्च कर देते हैं।

*बाइक से बच्चों को घर से स्कूल लाते एवं घर तक छोड़ते हैं तथा  प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी*

सीमित संसाधनों एवं चुनौतियों के बीच बीहड़ वनांचल क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन इस शिक्षक ने अपनी मेहनत व लगन से वनांचल क्षेत्र में शिक्षकों के बीच एक अलग ही पहचान बना ली है। वर्तमान में इसके पदस्थ साला चारमार में 82 बच्चे अध्ययनरत है। जिसमें अधिकांश बच्चे मांझी, धनवार,लोहार हैं जिसमें अधिकतर बच्चों को प्रतिदिन घर लेने जाना पड़ता था लेकिन शिक्षक के अथक प्रयास से माता-पिता को कई बार शैक्षिक महत्व बताते हुए बैठक कर बच्चों को स्कूल तक लाने का प्रयास ही नहीं वरन छुट्टी होने के बाद गांव के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार कर रहे है। इसके पढ़ाए बच्चे आज भी हर गांव से निकलकर डीपीएस, जवाहर नवोदय, एकलव्य, जवाहर उत्कर्ष एवं सैनिक स्कूल में बेहतर तालीम हासिल कर रहे हैं।

*गांव में रहकर क्षेत्र के बच्चों को बेहतर तालीम दे रही हैं शिक्षक* टिकेश्वर पटेल स्कूल की छुट्टी होने के बाद पिछले 7 सालों से 2 घंटे तक जवाहर नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, उत्कर्ष स्कूल एकलव्य स्कूल जैसे केंद्रीय परीक्षाओं की तैयारी कर आते हैं जिसके लगन एवं मेहनत ने बदौलत क्षेत्र के अलावा अन्य विकास खंड एवं जिले के 43  बच्चे सैनिक स्कूल, नवोदय स्कूल, जवाहर उत्कर्ष एवं एकलव्य जैसे परीक्षा में चयनित होकर बेहतर तालीम हासिल कर रहे हैं अर्थात इस क्षेत्र के बच्चों का भविष्य संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।हाल ही में इस स्कूल में अध्ययनरत  2 छात्र 1.आयुष गुप्ता पिताश्री दोलामणी गुप्ता माता श्रीमती शकुंतला गुप्ता 2. युवराज पटेल पिता श्री जय प्रकाश पटेल माता श्रीमती केतकी पटेल का सैनिक स्कूल अंबिकापुर के लिए चयन हुआ है। जिसका स्वास्थ्य परीक्षण 22 फरवरी 2020 को है।

*जिले का एकमात्र नवोदय पूर्व तैयारी परीक्षा के नाम से जाना जाता है या स्कूल* 

जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित घने वनांचल के बीच ग्राम चारमार आज ना केवल अपनी खूबसूरत वादियों के लिए प्रख्यात है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में जिले में भी अपना अलग पहचान बना चुका है। बीहड़  वनांचल के बीच बसे इस गांव की तस्वीर महज 9 सालों में अच्छी तरह से बदली है ग्राम चारमार में सन 1960 से प्राथमिक शाला संचालित है जिसमें इस साला से निकले अधिकांश विद्यार्थी शैक्षिक क्षेत्र के अलावा राजस्व विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग यहां तक कि वित्त विभाग विभाग में बेहतर सेवा के नाम से विख्यात है।

*शैक्षिक नवाचार*

*100%  उपस्थित छात्रों को प्रतिमाह करते हैं पुरस्कृत*

प्राइमरी स्कूल के  बच्चों का स्कूल से गायब रहना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती है, ऐसे में माह भर स्कूल लगने के पूरे दिन उपस्थित रहने वाले बच्चों को पुरस्कृत करने से ना केवल उनका उत्साह बढ़ता है, बल्कि अन्य बच्चे में भी रोज स्कूल आने की प्रवृत्ति विकसित होती है इस कड़ी में स्कूल में बच्चों की नियमित उपस्थिति को बढ़ावा देने शासकीय प्राथमिक शाला- चारमार में पदस्थ शिक्षक श्री टिकेश्वर पटेल, उदेराम राठिया एवं संतोष गुप्ता ने विगत 3 वर्षों से अपनी कक्षा के छात्रों को सम्मानित करने का अभिनव पहल किया जा रहा है। श्री गुरु जनों द्वारा प्रत्येक माह शत प्रतिशत उपस्थित रहने वाले छात्रों को अपनी ओर से कॉपी, पेंसिल, पेन व अन्य शैक्षिक सामग्री प्रदान कर प्रोत्साहित करने का कार्य अनवरत जारी है जिससे प्रेरित होकर बच्चे साला में निरंतरता बनाए रखने में मददगार साबित हो रहा है। इस प्रकार पिछले सत्र पूरे दिन उपस्थित रहने वाले विद्यार्थी रितेश गुप्ता को मोमेंटो एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया है श्री गुरु जनों के इस अभिनव पहल से प्रेरित होकर विद्यालय परिवार आगामी माह से प्रतिमाह सम्मानित करने की घोषणा की है। प्राथमिक विद्यालय विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शाला में निरंतरता बनाए रखना एक चुनौती से कम नहीं है।



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