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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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मिट्टी, बांस और अन्य सामग्रियों से आकर्षक खिलौने बनाकर रोचक शिक्षा प्रदान करने वाली शिक्षिका

 मिट्टी, बांस और अन्य सामग्रियों से आकर्षक खिलौने बनाकर रोचक शिक्षा प्रदान करने वाली शिक्षिका - श्रीमती मीरा रजक

शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला झिंगटपुर 

विकासखण्ड-कोटा, जिला-बिलासपुर (छ. ग.)

"यदि हम किसी और व्यक्ति की प्रतीक्षा करते हैं, तो परिवर्तन नहीं आएगा। हम वही है, जिसका हम इंतजार कर रहे हैं। जिस परिवर्तन को हम चाहते हैं, वह परिवर्तन हम ही ला सकते हैं।" बराक ओबामा

 शिक्षा पर सबकाअधिकार

            सब पढ़े सब बढ़े, लेकिन कोविड-19 के कहर से पूरा विश्व जूझ रहा है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने बहुत ही कम अवधि में शुरू किये गये अभिनव पहल 'पढ़ई तुंहर दुआर' ने शिक्षा को बच्चों के दरवाजे तक पहुँचाने का कारनामा करके यह सिद्ध कर दिया है कि चाहे जैसी भी विषम परिस्थिति हो शिक्षा पर सबकाअधिकार है।

समस्या का स्थायी समाधान

            पढई तुंहर दुआर कार्यक्रम अंतर्गत शुरूआती दौर में बच्चे ऑनलाइन क्लास से लाभान्वित होने रहे थे, लेकिन प्रदेश के बहुत सारे बच्चों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं होने की वजह से वे ऑनलाइन क्लास का लाभ नहीं ले पा रहे थे। ऐसे बच्चों को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था की खोज प्रारंभ की, जिसमें वो सफल रही। बहुत ही जल्द में इस समस्या का स्थायी समाधान प्रदेश के हमारे नवाचारी शिक्षकों ने ढूंढ निकाला, जिसमें पढ़ई हमर पारा (मोहल्ला क्लास), लाउडस्पीकर स्कूल बुल्टू के बोल, मिस्ड कॉल गुरुजी, मोटरसाइकिल गुरूजी, ब्लूटूथ ब्लब मास्टर आदि प्रमुख रहे। जिनसे जुड़कर बच्चे सतत् पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ई तुहर दुआर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रदेश के हमारे शिक्षक, विद्यार्थी और अधिकारीगण सतत् प्रयासरत है। 

रोजगार मूलक कार्य सिखाने का प्रयास

            इसी कड़ी मे मेरे द्वारा कोरोना काल के शुरूआती दिनों से ही बच्चों के बीच मोहल्ला क्लास में जाकर नई नई गतिविधियों के माध्यम से विद्यालय के बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखना। कोरोना काल के दौरान बच्चों को पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गांव के तीन अलग-अलग स्थानों पर साथी शिक्षकों की मदद से मोहल्ला क्लास संचालन करने शुरू किया। शुरूआती दिनों में कोरोना के प्रकोप को देखते हुए अभिभावक बच्चों को मोहल्ला क्लास भेजने से डर रहे थे। जिसके कारण बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती थी, लेकिन शिक्षकों द्वारा समझाईश देने के बाद धीरे-धीरे मोहल्ला अलास में बच्चों की संख्या बढ़ गई। इसके साथ ही साथ ऑनलाइन क्लास जुगाड़ से भी गणित की पढ़ाई जारी रखते हुए अपने पड़ोस के 8 बच्चों को भी घर पर ही पढ़ाना जारी रखा। इसके साथ ही बच्चों को रोजगार मूलक कार्य सिखाने का प्रयास किया गया जिसके अंतर्गत दोना पत्तल निर्माण, वाल पेंटिंग, सुहाई बनाना,सिलाई,कढ़ाई करना सिखाया गया। 

सीखने की अपार संभावनाएं

            कहते हैं न कि बच्चों में सीखने की अपार संभावनाएं निहित होती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों को विद्यालय स्तर पर विविध गतिविधियाँ कराया जा रहा है, जिसमें श्रीमती मीरा रजक के मार्गदर्शन में मुख्य रूप से मृदा कला, बांस कला, पेपर क्राफ्ट, कास्टकला आदि में बच्चों को लगातार सिखाया जा रहा है। श्रीमती मीरा रजक के द्वारा अभी तक मिट्टी, बांस और वेस्ट मटेरियल से अनेको खिलौने का निर्माण कर उसका उपयोग बच्चों की पढ़ाई में किया जा रहा है। इनके प्रयासों के परिणामस्वरूप बच्चों ने भी रूचि लेते हुए सारे खिलौने बनायें हैं। इनके द्वारा शाला स्तर से लेकर विकासखण्ड स्तर तक प्रदर्शनी में सहभागिता भी निभाई गई।

उच्च अधिकारियों द्वारा मोहल्ला क्लास  मॉनिटरिंग

            अब बच्चे स्वप्रेरणा से मोहल्ला क्लास में शामिल होकर पढ़ाई नियमित जारी रख रहे है। अब तक संकुल स्तर से लेकर जिला स्तर तक के उच्च अधिकारियों द्वारा मोहल्ला क्लास पहुंचकर और मोबाइल के माध्यम मॉनिटरिंग किया जाता है।

समाचार पत्र


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