-->

WELCOME

शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

नवाचारी ग्रुप

        

Breaking News

Random Post

सफलता की कहानी - अपनी ज़ुबानी, "चुनौती भरा लॉकडाऊन और कोविड-19 के दिन" श्रीमती शारदा सिंह

 


मेरी सफलता की कहानी 

              

मनुष्य के लिए कठिनाइयों का होना बहुत जरूरी है क्योंकि कठिनाइयों के बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता। 25 मार्च 2020 को जब पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ तब हम कोरोना के विषय में ज्यादा कुछ जानते नहीं थे। अचानक लगे लॉकडाउन से देश का हर व्यक्ति कठिनाइयों से जूझ रहा था सभी के पास अपनी समस्याएं थी। 

इस वैश्विक महामारी के कारण पूरे देश को लॉकडाउन करना पड़ा यह एक बहुत बड़ा निर्णय था देश को इस महामारी से बचाने के लिए। ऐसे में बच्चों को शिक्षा से जोड़ें रखना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि मेरा विद्यालय शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सिंधिया पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के एक दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में स्थित है जहां आसपास के चार पांच गांव के बच्चों के अलावा छात्रावास के बच्चे भी अध्ययन करते हैं।

 मुश्किल हालातों में छत्तीसगढ़ शासन ने जब बच्चों की पढ़ाई के लिए वेबसाइट प्रारंभ की तो मुझे उम्मीद की एक किरण नजर आई। प्रारंभ में मैंने इसमें पढ़ाई से संबंधित सामग्री अपलोड की जिसमें अब तक 46 सामग्री अपलोड किए जिसमें से 14 सामग्री स्वीकृत हुई इसके अलावा पढ़ाई से संबंधित अनेक यूट्यूब वीडियो भी बनाए इसके पश्चात हमने बच्चों को व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाना प्रारंभ किया जिन बच्चों के पास मोबाइल फोन उपलब्ध थे उनके साथ मिलकर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया व्हाट्सएप पर पढ़ाई से संबंधित वीडियो जो कि मेरे स्वयं के द्वारा बनाए गए थे और इससे संबंधित प्रश्नों के माध्यम से बच्चों के पढ़ाई को जारी रखा।    


           

      इसी बीच जब शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिंधिया को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया तब मेरी भी ड्यूटी वहां लगी इस दौरान मैंने क्वॉरेंटाइन सेंटर में काम करते हुए लोगों की परेशानी व समस्याओं को देखा।

           कहते हैं ना जिंदगी में चुनौतियां आती और चुनौतियों का सामना करने से सफलता मिलती है और जहां सफलता मिलती है वही एक और नई चुनौती सामने आ जाती है इस कड़ी में अगली चुनौती मेरे सामने थी सीजी स्कूल इन में ऑनलाइन क्लास लेना व बच्चों को इस से जोड़ना परंतु कुछ कठिनाइयों के बाद मैंने ऑनलाइन क्लास लेना प्रारंभ किया जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य जिलों से भी विद्यार्थी जुड़ते थे। आज वर्तमान में 133 ऑनलाइन क्लास ले चुकी हूं जिसमें कुल 2077 विद्यार्थी जुड़ चुके हैं।


ऑनलाइन क्लास में सबसे बड़ी समस्या यह रही कि मेरे विद्यालय की सभी बच्चे जुड़ नहीं पा रहे थे क्योंकि ज्यादातर बच्चे दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में रहते हैं जहां मोबाइल व नेटवर्क दोनों की समस्या है। इस समस्या को देखते हुए हमने मोहल्ला क्लास लेना प्रारंभ किया इसमें हमने कोरोना से संबंधित सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बच्चों का क्लास लेना प्रारंभ किया। विभिन्न t.l.m. के माध्यम से उनकी पढ़ाई को जारी रखा और बच्चों ने भी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से रूचि पूर्वक अपनी सहभागिता सुनिश्चित की जिस से सफलतापूर्वक हमने पढ़ई तुम्हर द्वार के अंतर्गत मोहल्ला क्लास का संचालन किया। हमारे मोहल्ला क्लास ने संकुल में अपनी एक अलग पहचान बनाई मोहल्ला क्लास के माध्यम से बहुत से बच्चे जो हमारे विद्यालय से थे और कुछ जो अन्य स्कूलों से भी थे जो लॉकडाउन के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे थे मोहल्ला क्लास के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रख पाए मोहल्ला क्लास के सफल संचालन में प्राचार्य श्रीमती संगीता सॉव प्रधान पाठक श्री हजारीलाल सेन व संकुल प्रभारी श्री गुलाब दास महंत जी का काफी सहयोग रहा इन्हीं के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन ने हमारे कार्यों को काफी आसान कर दिया जिले के अधिकारी श्री ए पी सिंह सर व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्री एलएस जोगी सर व श्री बी पी कश्यप सर द्वारा मोहल्ला क्लास का निरीक्षण समय-समय पर किया गया।

इसी के साथ विज्ञान के क्षेत्र में इस वर्ष इंस्पायर अवार्ड मानक के लिए हमारे विद्यालय से कुल 5 बच्चों का नाम मेरे द्वारा पंजीकृत किया गया जिसमें से एक छात्रा कुमारी सोनिया कक्षा सातवीं का आइडिया चयनित हुआ।

इस वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर संकुल में उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया एवं संकुल स्तरीय कहानी लेखनप्रतियोगिता मैं मेरा स्थान प्रथम रहा।

इस वर्ष मेरे विद्यालय में मिनी साइंस लैब की स्थापना हुई यह मेरे और मेरे विद्यालय के लिए बहुत गर्व की बात है अब इसके माध्यम से बच्चों को विज्ञान की अवधारणा को समझाने में ज्यादा कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। मैं प्रतिदिन 5 बच्चों का समूह बनाकर बच्चों को मिनी साइंस लैब दिखाती हूं और बच्चे भी बहुत रुचि पूर्वक सहभागिता दर्शाते हैं।

इसके अलावा बच्चों से विभिन्न मिट्टी के खिलौने निर्माण कार्य व शिक्षा से संबंधित t.l.m. निर्माण कार्य, पौधारोपण कार्य हमारे द्वारा कराया गया। वर्तमान में गांव को प्रिंटरीच बनाने का कार्य लगातार जारी है। गांव के अलग अलग मोहल्लों में जाकर शिक्षण सम्बंधित चित्र बनाना, जिससे बच्चे घर मे रहकर ही पाठ्यवस्तु को सीख सके। अब तक मोहल्ले में मेरे द्वारा ऐसे बहुत से वालपेन्टिंग की गई है। अब बच्चो को इसका लाभ भी मिलने लगा है।                          

                श्रीमती शारदा सिंह

               शिक्षक एलबी

           शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सिंधिया संकुल सिंधिया

विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा

जिला कोरबा (छत्तीसगढ़)

6 comments:

  1. लक्ष्य और विचार सब के अलग-अलग हो सकते हैं किंतु उच्च विचारों से उच्च लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एकाग्रता पूर्वक काम करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

    ReplyDelete
  2. लक्ष्य और विचार सब के अलग-अलग हो सकते हैं किंतु उच्च विचारों से उच्च लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एकाग्रता पूर्वक काम करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

    ReplyDelete