पतंग बनाने वाला 'महमूद' अपनी जवानी की उम्र में सारे नगर में प्रसिद्ध था। उसकी उत्तम कारीगरी की पतंगों में कुछ तो 3-4 रु. तक बिकती थी। नवाब के कहने पर उसने एक विशेष प्रकार की पतंग बनाई जो उन सभी पतंगों से भिन्न थी, नगर में ऐसी पतंग पहले कभी नहीं देखी गई थी। उसे एक विशेष प्रकार के रंग-बिरंगे कागजों से तैयार किया गया था। एक गोले के किनारे पर एक घास की टहनी बांध दी गई थी, आगे वाले गोले की सतहा थोड़ी बाहर की तरफ झुकी हुई थी और उस पतंग पर एक चेहरा बना हुआ था, जिसमें शीशे की दो छोटी आंखें लगी हुई थी। सिर से पूंछ तक आकार में छोटे होते हुए गोले पतंग को रेंगते हुए सांप की शक्ल देते थे। इस भारी नमूने को पृथ्वी से ऊपर उठाने के लिए बड़े कौशल की आवश्यकता थी। इसे केवल महमूद ही संभाल सकता था।
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