मामा जी आव-भगत करते हुए कहने लगे, "वाह बेटा, खूब आए। यह मेरा सौभाग्य है कि तुमने इस बहाने मुझे याद तो किया। उम्र ढलने पर सगा बेटा तो अपना होता नहीं, दूसरे की कौन कहे? यह तुम्हारी और तुम्हारे घरवालों की हद दर्जे की भलमनसाहत है, जो तुम लोगों ने मुझे अपना तो समझा। यहाँ बेटा, तुम्हें किसी बात की तकलीफ तो नहीं हो सकती। इसे तुम अपना ही घर समझो। सिर्फ कसर है, तो बस नौकरों की। हाय मैं क्या बताऊं? अच्छे नौकर मशाल लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलते। मिलते भी हो तो महीनों में, 15 दिन गायब। उस पर सदा डर यह कि कहीं कोई चीज ना उठा ले जाए। इसलिए इस झगड़े से बिल्कुल बरी हूं। सब काम अपने ही हाथ से कर लेता हूं। अच्छा, मुंह-हाथ धोकर चाय पी लो। यह अंगूठी है, वह केतली। इतना वक्त कहां कि शक्कर के लिए राशन की दुकान पर घंटों तक झक मारूँ। अरे! अब धक्के खाने का दम कहां? इसलिए चाय में डालने के लिए मैंने उस शीशी में नमक और लाल मिर्च रखी है। अहा! चुटकी में वह चटपटी चाय बन जाती है कि क्या कहूं? जरा पीकर तो देखो।" भांजे साहब घबराकर बोले, "मामा जी मैं चाय नहीं पीता।"
WELCOME
Breaking News
Random Post
Subscribe to:
Posts (Atom)
Labels
- Gardener of shiksha madhuban (147)
- Online Quiz (113)
- अन्य (50)
- नवाचार (12)
- नवोदय विद्यालय (12)
- Quiz (10)
- EXAMS (5)
No comments:
Post a Comment