राज्याभिषेक के बाद भी शिवाजी ने अपना विजय अभियान जारी रखा। बीजापुर और कर्नाटक पर आक्रमण करके समुद्र तट के सारे प्रदेशों को अपने अधिकार में कर लिया। शिवाजी ने ही सबसे सुव्यवस्थित ढंग से पहले नौसेना का गठन किया। शिवाजी महान दूरदर्शी थे और वे यह जानते थे कि भविष्य में देश को नौसेना की भी आवश्यकता होगी। शिवाजी सभी धर्मों का सम्मान आदर करते थे। राज्य के पदों के वितरण में भी कोई भेदभाव नहीं रखते थे। उनके राज्य में स्त्रियों का बड़ा सम्मान किया जाता था। युद्ध में यदि शत्रु पक्ष की कोई महिला उनके अधिकार में आ जाती, तो वे उसका सम्मान करते थे और उसे उसके पति अथवा माता पिता के पास पहुंचा देते थे। उनका राज्य धर्मनिरपेक्ष राज्य था। उनके राज्य में हर एक व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता थी। अत्याचार के दमन को वे अपना कर्तव्य समझते थे, इसीलिए सेना संगठन को विशेष महत्व देते थे। सैनिकों की सुख-सुविधा का विशेष ध्यान रखते थे। शिवाजी के राज्य में अपराधी को दंड अवश्य मिलता था। जब उनका पुत्र शंभाजी अमर्यादित व्यवहार करने लगा, तो उसे भी शिवाजी के आदेश में बंदी बना लिया गया था।
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