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उद्देश्य :- 🟣 बच्चों के रूचि के अनुरूप प्रतिभा को अवसर प्रदान करना । 🟢 उनके सृजन क्षमता का विकास करना।🟡 विद्यालय के प्रति सकारात्मक सोंच विकसित करना।🔴 व्यक्तित्व विकास के लिए अवसर प्रदान करना।बच्चे अत्यंत उत्साही एवं सृजनशील होते हैं, उनके अन्दर अनेक प्रतिभा छुपे होते हैं। उन्हें उनके रूचि के अनुसार अवसर मिलते ही वे चहक उठते हैं और अपने प्रतिभा को दिखाने के लिए पूरे तन-मन से जुड़ जाते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, अक्सर यह देखा जाता है कि तीज - त्योहारों के मौसम में बच्चे अलग मूड में रहते हैं ऐसे अवसरों पर विद्यालय के वातावरण को खास और रूचि पूर्ण बनाने के लिए मैने विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की योजना बनाई जैसे :-छत्तीसगढ़ अवकाश 2021 की सूची राखी के अवसर पर – राखी बनाओ ईनाम पाओ।तीजा पोला के अवसर पर – मेहँदी प्रतियोगिता.नवरात्री के अवसर पर – रंगोली प्रतियोगिता
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इसके अलावा अनेक वैश्विक समस्याओं पर आधारित सामाजिक जागरूकता जैसे-कि जल, पर्यावरण, ऊर्जा संरक्षण, आदि के लिए चित्रकलाप्रतियोगिता का आयोजन करते हैं। जिसमें बच्चे अत्यंत उत्साह पूर्वक अपनी सहभागिता निभाते हैं।शिक्षण में नवीन तकनीकों का उपयोग कर अधिगम को बेहतर बनाने का प्रयासप्रायः देखा जाता है कि बच्चे को सीखने की क्रिया में गणित और विज्ञान जटिल, तथा इतिहास जैसे विषय उबाऊ, बोझिल और निरस लगते हैं. जिसके कारण वे कक्षा में अपना ध्यान अधिक देर तक केन्द्रित नहीं रख पाते हैं। इसके लिए मैंने शिक्षण वातावरण को रुचिपूर्ण और सीखने समझने की क्रिया को सुगम बनाने के लिए सहायक सामग्री के रूप में सूचना क्रांति नवीन तकनीकों का उपयोंग करके देखा। मैंने लैपटॉप एवं मोबाइल के द्वारा इन्टरनेट/ यू- ट्यूब से विज्ञान, इतिहास , गणित , के अलावा कक्षा 1 से 8 तक के विभिन्न प्रकार के शिक्षण वस्तुओं का रोचक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बच्चों को सुगमता उपलब्ध कराते हुए सीखने और समझने की क्रिया को रोचक, आनंददायक एवं तनाव रहित बनाने का प्रयास किया । जटिल एवं उबाऊ विषय-वस्तु की प्रस्तुतीकरण रोचक होने से बच्चे अपना ध्यान अधिक देर तक शिक्षण के मूल पर केन्द्रित रख पाते हैं इस प्रकार से मैंने अपने शिक्षण उद्देश्यों को पूरा करते हुए बच्चों की समझ विकसित करने के लिए एक बेहतर सुविधा दाता की भूमिका निभाने का प्रयास किया।बालिका की संकल्पना को साकार करने के लिए मैने किया एक छोटा-सा प्रयास छत्तीसगढ़ अवकाश 2021 की सूची ( दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सांकेतिक छड़ी की संकल्पना )शिक्षा सत्र 2019 – 20 में मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा इंस्पायर्ड अवार्ड के लिए प्रत्येक स्कूलों से आईडिया आमंत्रित किया गया था। जिसमें हमारे विद्यालय से कु. धनेश्वरी घृतलहरे कक्षा आठवी के मन में उसके पास – पड़ोस अथवा घर – परिवार में तकलीफ उठा रहे दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए इलेक्ट्रोनिक सांकेतिक छड़ी की कल्पना उठी जिसे हम लोगों ने इंस्पायर्ड अवार्ड के लिए पंजीयन किया था। बच्ची की संकल्पना को मूर्त रूप देने के साथ मॉडल को संभाग स्तरीय प्रदर्शनी में शामिल करने के लिए बालिका को दस हजार की राशी भी मिली थी। बालिका के संकल्पना को साकार करने केलिए तकनीकी जानकर लोगों की तलाश कर उनके मार्ग दर्शन में उक्त मशीन को बनाया और मैंने स्वयं छड़ी को डिज़ाइन किया। दिनांक 13 व 14 जनवरी 2020 को मैंने और श्री एस. आर. साहू सर (प्रधान पाठक MS पिरदा) ने बालिका को रेयोन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर के प्रदर्शनी में शामिल कराया और एक सुविधा दाता की जिम्मेदारी को निभाने का एक छोटा सा प्रयास किया...स्कालरशिप और सर्टिफिकेट पाएं, प्रति माह 1000 रूपए जीतने का सुनहरा अवसर
शालेय पत्रिका “किलकारी”मेरा था सपना ! पत्रिका हो विद्यालय का अपना.प्रायः हम सभी अपने स्कूलों / कक्षाओं में बच्चों के लेख, कविता , कहानी, चित्रकारी आदि को संकलित कर ड्राइंग शीट में चिपकाकर पत्रिका बनाते हैं और बच्चों के लिए कक्षा में प्रदर्शन के लिए लगा देते हैं। यह हमारे शालेय गतिविधि का हिस्सा है। शालेय पत्रिका का विचार मेरे मन आज से 5 – 6 वर्ष पहले आया था । चूँकि हमारे शालाओं में इसके लिए कोई फण्ड नहीं होता है, इसके अलावा इस विषय पर मुझे कोई आईडिया भी नहीं था, लेकिन मन में यह विचार चलता रहता था, कि हमारे स्कूल का भी कोई पत्रिका हो। वैसे किसी भी संस्था की पत्रिका उसकी उपलब्धियों का दस्तावेज़ होता है, जब बच्चे पत्रिका में अपनेफोटो /लेख /चित्रकारी आदि देखते हैं तो शाला की प्रत्येक गतिविधि में पूरी लगन से सहभागी बनने के लिए प्रेरित भी होते हैं। इसके अलावा पालकों को बच्चों की अभिरुचि से अवगत कराने का माध्यम भी बनता है। वे पत्रिका में अपने बच्चों की गतिविधियों का फोटो देख गौरान्वित होते है, इस तरह से शिक्षकों और पालकों के मध्य विश्वास के रिश्ते मजबूत होते हैं।किलकारी पीडीएफ़ फार्मेटपत्रिका के बनाने और प्रकाशन तक का सफ़रमेरे पास बच्चों की विभिन्न गतिविधियों के विगत 6 -7 वर्षों के फोटोग्राफ रखे हुए थे। जिसे मैं एल्बम के रूप में निकालना चाहता था। लेकिन जब मै स्कूल की बच्ची की मॉडल को जनवरी 2020 इंस्पायर अवार्ड में शामिल होने के लिए प्रेजेंटेशन तैयार कर डिजिटल प्रिंटिंग के लिए गया तो वहां पत्रिका प्रिंटिंग से सम्बंधित प्रक्रिया और बजट की भी जानकारी हुई। उसी दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया की अब मै भी अपने स्कूल के लिए पत्रिका बनवा सकता हूँ। चूँकि हमारा प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला एक ही परिसर में संचालित होता है और दोनों ही स्कूलों के शिक्षक एक परिवार की तरह ही रहते हैं, कुछ दिनों पश्चात मैंने दोनों शाला के प्रधानपाठक एवं सभी शिक्षक साथियों के साथ चर्चा की और उसी दिन से तैयारी करना शुरू किया। इसके लिए मैंने बच्चों को उनके रूचि अनुरूप मौलिक लेख, कहानी – किस्से, कविता, चुटकुला, सुविचार, सामान्य ज्ञान इत्यादि तैयार करने के लिए प्रेरित किया।छत्तीसगढ़ अवकाश 2021 की सूची अड़चने (कोरोना की साया) पत्रिका को पूरी करने में मुझे बहुत सी दिक्कतें आई क्योंकि कोरोना के कारण स्कूलें बंद हो चुकी थी। और कुछ ही बच्चों की रचनाएँ मेरे पास थी। अधिक से अधिक बच्चों की रचनायें एकत्रित करने के लिए गाँव के चौक चौराहे में बच्चों को बुलाकर मोबाईल नं. मंगाए और वाट्स एप्प ग्रुप बनाये जिसका उपयोग हमारे द्वारा ऑनलाइन शिक्षण एवं आवश्यक दिशा निर्देश/ जानकारी बच्चों तक पहुँचाने के लिए भी किया जाता है। बच्चों की रचनाएँ वाट्स एप्प से मंगाए जरुरत पड़ने पर गली मोहल्लों में जाकर भी एकत्रित किया।टंकण, पृष्ठ सज्जा एवं विवरण लेखनशाला की प्रत्येक गतिविधियों के फोटोग्राफ का विवरण लेखन से लेकर पेज डिज़ाइन का कार्य मैंने ग्राफ़िक्स डिज़ाइनर ami arts raipur के विशेष मार्गदर्शन में पूरा किया।प्रकाशन के लिए वित्त प्रबंधन
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