सवाल:- शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
जवाब:- शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है।प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन में 14 रत्न निकले थे । समुद्र-मंथन में जब अमृत कलश निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। सभी इसका पान करके अमर होना चाहते थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृत मान करवाया। उस समय राहु नाम के एक असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णु जी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। राहु का भेद चंद्र और सूर्य ने उजागर कर दिया था। इस वजह से राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहते हैं।
सवाल:- विज्ञान के अनुसार कब होता है सूर्य ग्रहण?
जवाब:- जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। पृथ्वी के दिन क्षेत्रों में चंद्र की छाया पड़ती है। वहां सूर्य दिखाई नहीं देता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण में नग्न आंखों से देखने को बचना चाहिए, क्योंकि इस समय में सूर्य से जो किरणें निकलती है, वह हमारी आंखों के लिए हानिकारक होती है।
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