सन 1831-32 कोल विद्रोह, जिसे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासियों का प्रथम आंदोलन भी कहा जाता है, के नायक आदिवासी उराव बुद्धू भगत थे। यह रांची जिले के चान्हों थाना के सिलागाई गाँव के निवासी थे। कहा जाता है कि बुद्धू भगत दैवीय शक्ति रूप में प्राप्त एक कुल्हाड़ी अपने साथ रखते थे। उनकी सुरक्षा के लिए हर आदमी तत्पर रहता था। जनता का उनमें अटूट विश्वास था। ब्रिटिश शासन ने बुद्धू भगत को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए एक हजार रु. के पुरस्कार की घोषणा कर दी, लेकिन कोई भी इस पुरस्कार को प्राप्त करने का लालची न था। बुद्धू भगत को पकड़ने की जिम्मेदारी कैप्टन इम्पे को सौंपी गई।
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