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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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गद्यांश 30 तिलक हंसकर बोले, "पक्षी भी मित्र और शत्रु में भेद कर सकते हैं।"

 लोकमान्य तिलक अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाए गए थे। उन्होंने जेल में अपने आपको अध्ययन में व्यस्त रखा। जेल बहुत ही शांत जगह थी, जहां पक्षी भी नहीं चहचहाते थे। तिलक ने अपने भोजन में से थोड़ा खाना पक्षियों के लिए रखना शुरू कर दिया। आरंभ में तो किसी ने वह खाना छुआ नहीं, किंतु कुछ दिन बाद थोड़े-से पक्षियों ने यहाँ आना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ती गई और वे तिलक के चारों तरफ इकट्ठे होने लग गए। पक्षी उनके सिर पर, कंधो पर निडर होकर बैठ जाते थे। एक दिन गश्त लगाते हुए जेलर तिलक की कोठरी की ओर आए। पक्षियों की चहचहाहट सुनकर उन्होंने कोठरी में झांका और पूर्णतया आश्चर्यचकित रह गए। "इतने सारे पक्षी। ये कहां से आ गए हैं?" उसने पूछा। तिलक ने उत्तर दिया, "मित्र!मैं इन्हें भारत से नहीं लाया। ये यहां से ही आए हैं।" जेलर आश्चर्यचकित रह गया। उसने कहा, "यहां तो हर कोई पक्षियों को खा जाता है, इसलिए पक्षी इस ओर नहीं आते हैं।" तिलक हंसकर बोले, "पक्षी भी मित्र और शत्रु में भेद कर सकते हैं।"

Question 1 of 5

तिलक जेल में अपना समय कैसे व्यतीत करते थे?
पक्षियों को खाना खिलाकर
अध्ययन करके
जेलर से बात करके
पक्षियों की चहचहाहट को सुनकर

Good Try!
You Got out of answers correct!
That's

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