लड़के-लड़कियों ने आपस में काम बांट लिया। अनिल और जीनत अपने घरों से दो बड़ी टोकरिया ले आए। बच्चों ने इधर-उधर बिखरे हुए कागज के टुकड़े, खाली बोतलें और प्लास्टिक बैग टोकरियों में रखे और पास के कूड़ेदान में उन टोकरियों को पलट दिया। उन्हें मालूम था कि कूड़ेदान को साफ करने एक कूड़े वाला ट्रक रोज आता है। सुबह समाप्त होते-होते पार्क अपेक्षाकृत अधिक साफ-सुथरा लग रहा था। उस दिन के बाद बच्चों ने तय किया कि उनका पार्क साफ-सुथरा और बिना कूड़े का दिखाई पड़े। अनिल के पिता ने फूलों की क्यारियां बनाने में उनकी मदद की। बच्चों ने बारी-बारी से बीजों की सिंचाई की। जब फूल खिले, तो पास-पड़ोस का प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्न हो उठा।
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