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शिक्षा मधुबन(विद्यालय) में माली(शिक्षक) नन्हें पौधे(विद्यार्थी) को खाद-पानी(शिक्षा) दे कर एक सुगंधित,मनमोहक और फलदार वृक्ष(काबिल इंसान) बनाता है।

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गदयांश - 04 तुलसी का पौधा औषधीय तथा रोगहारी

 तुलसी का पौधा अधिकांश भारतीय घरों में उगाया जाता है। इस बूटी से मधुर गंध आती है। इस पौधे की पत्तियों का उपयोग पूजा के लिए होता है और उनमें औषधीय तथा रोगहारी गुण होते हैं। विश्व में तुलसी के कम से कम 150 प्रकार है। प्राचीन काल में मंदिरों का उपयोग पथिकों के विश्राम गृह के रूप में होता था। तुलसी का पौधा मंदिर के बाहर उगाया जाता था, क्योंकि इसमें प्यास रोकने का विशेष गुण होता है। जब कुछ पत्तियां जीभ के नीचे रखी जाए, तो थके हुए पथिक, जो पानी ढूंढ रहे होते हैं, उनकी प्यास कम हो जाती है। तुलसी, जिसका मूल निवास भारत है, 16 वीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप पहुंची। यह माना जाता है कि यदि तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ नित्य लिया जाए, तो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। चाय के लिए पानी उबालते समय यदि कुछ तुलसी की पत्तियां मिला दी जाए, तो इसमें विशेष गंध और स्वाद आ जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह आराम भी पहुंचाती है और तनाव दूर करती है।

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